सिंहावलोकन

अंतिम नवीनीकृत: 04-Jul-2016

हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग, हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम, 1997 के प्रावधान के अनुसार एक स्वतंत्र सांविधिक निगमित निकाय के रूप में 17 अगस्त 1998 को स्थापित किया गया था। हरियाणा राज्य भारत में दूसरा ऐसा राज्य था जहां विद्युत क्षेत्र के सुधार तथा पुनर्गठन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम 1997 (1998 का अधिनियम नं. 10)View Document(339 Kb), हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा दिनांक 22 जुलाई 1997 को पारित किया गया। 20 फरवरी 1998 को राष्ट्रपति की संस्तुति मिलने के बाद, यह अधिनियम 14 अगस्त 1998 को अस्तित्व में आया। तत्कालीन हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड को दो कॉर्पोरेट निकायों अर्थात विद्युत का उत्पादन करने के लिए हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (ह.वि.उ.नि.लि. / HPGCL ) तथा हरियाणा राज्य में बिजली का प्रसारण तथा वितरण करने के लिए हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (ह.वि.प्र.नि.लि. / HVPNL ) के नाम वाले दो निगमों में बांटा गया। तत्पश्चात, बिजली की खुदरा आपूर्ति तथा वितरण की गतिविधियों के लिए 1 जुलाई 1999 को उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड (उ.ह.बि.वि.नि.लि. / UHBVNL) हरियाणा के उत्तरी क्षेत्रों के लिए तथा दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड (द.ह.बि.वि.नि.लि. / DHBVNL) दक्षिणी क्षेत्रों के लिए दो निगमों का गठन किया गया। इसके बाद, आयोग ने अपने आदेश दिनांक 04.11.2004View Document(176 Kb) के तहत ह.वि.प्र.नि.लि. के वितरण तथा खुदरा आपूर्ति लाइसैंस के समर्पण को स्वीकार कर लिया तथा हरियाणा में वितरण तथा खुदरा आपूर्ति कार्यों के लिए उ.ह.बि.वि.नि.लि. तथा द.ह.बि.वि.नि.लि. को अलग- अलग लाइसैंस प्रदान किए।

भारत सरकार ने 10 जून 2003 से विद्युत अधिनियम, 2003External Link Image को अधिसूचित किया। हरियाणा में विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों को 10 जून 2003 से 6 महीने तक अधिसूचना नं. 1/4/2003-आई.पी. दिनांक 8.9.2003 के तहत स्थगित रखा गया। अत: हरियाणा में विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के साथ-साथ हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम 1997 के प्रावधान, जो विद्युत अधिनियम 2003 के साथ असंगत नहीं हैं, लागू हैं।

विद्युत अधिनियम 2003 उत्पादन, पारेषण, वितरण, व्यापार और विद्युत के उपयोग तथा आमतौर पर विद्युत उद्योग के विकास, इसमें प्रतिस्पर्धा बढाने, उपभोक्ताओं के हित की सुरक्षा और सभी क्षेत्रों में विद्युत की आपूर्ती, विद्युत शुल्क का युक्तिकरण, सब्सिडी के संबंध में पारदर्शी नीतियाँ सुनिश्चित करने, कुशल और पर्यावरणीय तौर पर सौम्य नीतियों का संवर्धन, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण का गठन, विनियामक आयोग तथा अपीलीय न्यायालय की स्थापना और उनसे संबंधित मामले हेतु बनाया गया है।

हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग, अध्यक्ष सहित तीन सदस्यों का एक सांविधिक स्वायत्त निकाय है, जो विशेष सहायक स्टाफ के सहयोग से राज्य में विद्युत क्षेत्र के विनियमन के लिए जिम्मेदार है। इस उद्देश्य के लिए बनाई गई एक चयन समिति की सिफारिश पर राज्य सरकार, विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 84 एवं धारा 85 के अनुसार, अध्यक्ष और आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करती है।